श्री रामायण जी कि सुमिरनी
जो सुमिरत सिधि होइ, गन नायक करिबर बदन
करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन (RCM 1/1)
मूक होइ बाचाल, पंगु चढइ गिरिबर गहन
जासु कृपाँ सो दयाल, द्रवउ सकल कलि मल दहन (RCM 1/1)
नील सरोरुह स्याम, तरुन अरुन बारिज नयन
करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन (RCM 1/1)
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन
जाहि दीन पर नेह, करउ कृपा मर्दन मयन (RCM 1/1)
बंदउ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नररूप हरि
महामोह तम पुंज, जासु बचन रबि कर निकर (RCM 1/1)
करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन (RCM 1/1)
मूक होइ बाचाल, पंगु चढइ गिरिबर गहन
जासु कृपाँ सो दयाल, द्रवउ सकल कलि मल दहन (RCM 1/1)
नील सरोरुह स्याम, तरुन अरुन बारिज नयन
करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन (RCM 1/1)
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन
जाहि दीन पर नेह, करउ कृपा मर्दन मयन (RCM 1/1)
बंदउ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नररूप हरि
महामोह तम पुंज, जासु बचन रबि कर निकर (RCM 1/1)
बंदउ मुनि पद कंजु, रामायण जेहिं निरमयउ।
सखर सुकोमल मंजु, दोष रहित दूषण सहित (RCM 1/14)
बंदउँ चारिउ बेद, भव बारिधि बोहित सरिसा
जिनही न सपनेहुँ खेद, वरनत रघुबर बिसद जसु (RCM 1/14)
बंदउँ बिधि पद रेनु भव सागर जेहि कीन्ह जहँ
संत सुधा ससि धेनु प्रगटे खल बिष बारुनी (RCM 1/14)
बंदउँ अवध भुआल सत्य प्रेम जेहि राम पद
बिछुरत दीनदयाल प्रिय तनु तृन इव परिहरेउ (RCM 1/16)
प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर (RCM 1/17)
दोहा
बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि
होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि (RCM 1/14)
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न
बदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न (RCM 1/18)
याही समय सुमिरन करू , सुनहु वीर हनुमान
आएके आसन लीजिये , सिया सहित भगवान् (No Reference found)
सुमुध सुगन्धित सुमन लै , सुमन सुभक्ति सुधार
पुष्पांजलि अर्पण करू , देव करो स्वीकार … (No Reference found)
सिया वर राम चन्द्र की जय
Op
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeleteJai shree Ram
ReplyDelete